Saturday, September 1, 2012
sai bhaktidhara
जगत के रंग क्या देखू ,तेरा दीदार काफी है ,
करू मैं प्यार किस किस से तेरा एक प्यार काफी है ,नहीं चाहिए ये दुनिया के निराले रंग ढंग मुझको ,
चला आऊ मैं शिर्डी तेरा दरबार काफी है ,
जगत के रंग क्या देखू .....
अपना चंदा सा मुखड़ा दिखाए जा.....
अपना चंदा सा मुखड़ा दिखाए जा......
ओ मेरे शिर्डी वाले अपनी ही धुन में मुझे मिलाये जा
अपना चंदा सा मुखड़ा दिखाए जा......
ओ मेरे शिर्डी वाले अपनी ही धुन में मुझे मिलाये जा
ॐ साईं राम जय साईं राम ....................
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